
Mercury Retrograde: What It Means & How to Navigate It
Learn about Mercury retrograde, its impact on communication, travel, and decision-making, plus tips to stay grounded.
काल पुरुष की आत्मा और समस्त जगत के पिता माने जाने वाले सूर्य जी नव ग्रहो के राजा भी है सूर्य जी से ही पृथ्वी सहित समस्त जीव, जन्तुओ, मानव आदि को तेज और जीवन प्राप्त होता है यह सौर मण्डल के प्रमुख ग्रह होने के साथ अन्य ग्रहो के केन्द्र बिन्दु है यही मुख्य वजह है कि सूर्य को सभी ग्रह परिक्रमा देते है पृथ्वी तथा स्वर्ग के मध्य जिस स्थान पर ब्रम्हान्ड का केन्द्र है वहीं सूर्य जी स्थित है सूर्य से ही, अन्तरिक्ष आकाश, दिशा, दिन, रात, आदि संचालित होते है सूर्य जी गति शील रहकर अपनी गति से दिन और रात को छोटा बडा किया करते है सूर्य जब मेष तथा तुला राशि में होते है तो दिन और रात्रि बराबर होती है जब वृष, मिथुन ,कन्या, कर्क, सिंह राशि में होते है तब रात छोटी होती है और दिन बडे होते है मकर, मीन, धनु, वृष्चिक,राशि में सूर्य जी रहते है तो दिन छोटे रहते है। यही मुख्य कारण है कि सूर्य जी वगैर न तो जीवन है और न तो किसी प्रकार का संचालन है यही वजह है कि नवग्रहो में सूर्य देव को राजा की उपाधि मिली है। सूर्य पृथ्वी से लगभग सवा करोड मील दूर है यह पृथ्वी से लगभग 13 लाख गुना बडा है इसका व्यास पृथ्वी के व्यास से -109.5 गुना है 866.500 मील और भार 330.000 गुना अधिक है इसका तापमान 100000 अंश फारेन हाइट माना जाता है सौर मण्डल के समस्त ग्रह सूर्य से ही प्रक्राश ग्रहण करते है सूर्य सदैव मार्गी रहता है और कभी भी अस्त नहीं होता है पृथ्वी के अपने धुरी पर घूमने के कारण यह कभी अस्त तो कभी उदित प्रतीत होता है जबकि यह भ्रम मात्र है क्योकि पृथ्वी के धुरी पर घुमने के कारण जो स्थान-देश, प्रदेश आदि सूर्य के सामने आते है वही सूर्योदय होता है तथा जहाँ पृथ्वी नीचे की तरफ आती है वही सूर्यास्त होता है। धर्म शास्त्र और भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य जी 12 राशियो का भ्रमण 01 वर्ष मे पूरा करते है इसी के आधार पर 12 संक्रान्तिया होती है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि मे प्रवेष करने की प्रक्रिया ही संक्रान्ति कहलाती है। ज्योतिष के आधार पर सूर्य से पिता का सुख, आत्मा,शक्ति सामथ्र्य, पराक्रम धैर्य, साहस उच्चअधिकारी, शासन सत्ता आदि का विचार किया जाता है सूर्य जी यदि आपके जन्मांक मे उच्च राषि के होकर केन्द्र त्रिकोण में है तो यह आई ए एस, आई पी एस, सेना तथा उच्चकोटि के राजयोग का निर्माण करते है उच्चकोटि की राजनीति मे भी सूर्य की भागीदारी दमदार भूमिका का निर्वाहन करती है। सूर्य सिंह राशि, पूर्व दिशा का स्वामी तथा दिवस वली है यह मेष राशि के 10 अंशों तक परम उच्च तथा तुला राषि के 10 अंशों तक परमनीच होता है यह लग्न, नवम, तथा दसम भावो का कारक है जन्मांक में सूर्य उच्च का होने पर ,राज्य सुख ,पिता से सुख, राज्य सम्मान, तेज, बल आदि की प्राप्ति होती है सूर्य के अशुभ होने-बुखार, कमजोरी, दिल का दौरा, पेट सम्बन्धी बीमारिया, आंखो के रोग, चर्म रोग हिस्टीरिया आदि रोगो से शारीरिक कष्ट होता है। इसके अलावा राजकीय तथा प्रशासनिक कार्यो मे अवरोध भी आते रहते है। सूर्य यदि अशुभ है तो यह उपाय सूर्य के अशुभ प्रभाव मे कमी लाते है। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिये रविवार को वृत करना चाहिये तथा उसमे लाल फूल अर्पित करना चाहिये सूर्य सहस्त्र नाम का पाठ तथा सूर्याध्य प्रदान करना चाहिये रविवार को 03-05 रत्ती का माणिक्य प्रतिष्ठित कराकर धारण करना चाहिये। उपरांत तामड़ा या कन्टकिज भी धारण कर सकते है। सूर्य का बीज मन्त्र-ऊॅं ह्नां हृी ह्मै सः सूर्याय नमः तथा सूर्य-गायत्री मन्त्र जप करने से भी लाभ होता है। सूर्य जी प्रिय वस्तुओ का दान करकेे भी सूर्य के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है जैसे-माणिक्य, सोना, तांबा, गेह, धी, गुड, केसर, लाल कपडा, लाल फूल, लाल चन्दन, लाल मूंगा, लाल गौ, आदि को रविवार को सूर्योदय काल में दान करना हितकर होता है।
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