जब-जब असुरों, राक्षसों, दानवों आदि के अत्याचार बड़े हैं और धर्म का विनाश हुआ है तब-तब भगवान पृथ्वी पर जन्म लेकर, अवतार लेकर सत्य और धर्म की रक्षा करते हैं। ऐसा धर्म शास्त्रों मे कहा गया है। कभी राम के रुप में तो कभी कृष्ण के रुप मे अवतरित हुये हैं।
द्वापर युग मे जब पृथ्वी पर पाप तथा अत्याचार बड़ने लगे पृथ्वी पाप तथा अत्याचार से दबने लगी तब पृथ्वी गाय के रुप मे ब्रम्हा जी के पास गयी। ब्रम्हा जी समस्त देवताआंे को साथ लेकर विष्णु जी के पास क्षीरसागर गये।पृथ्वी ने विष्णुजी निवेदन किया कि प्रभु मै पाप के बोझ से दबी जा रही हूँ मेरा उद्धार कीजिये।पृथ्वी तथा देवताओं का अनुरोध सुनकर भगवान विष्णु ने कहा कि मै बृजमन्डल मे वासुदेव गोप की पत्नी देवकी के गर्भ से जन्म लूंगा। तुम सभी देवता लोग बृज भूमि मे जाकर यादव वंश मे अपना शरीर धारण करो। इतना कहकर भगवान विष्णु अन्तर्धान हो गये। यहीं से श्रीकृष्ण जन्म की शुरुवात धर्म शास्त्रों मे मानी जाती है। कहा जाता है कि द्वापर युग के अन्त मे कंस के अत्याचारों से समस्त पृथ्वी तथा जनसामान्य दुखी थे। कंस के अंत के लिये भगवान विष्णु ने कृष्ण के रुप मे द्वापर युग मे अवतार लिया ऐसा धर्म शास्त्रों मे है।
भाद्रपद मास की अष्टमी को तथा बुधवार के दिन मे रोहिणी नक्षत्र मे अर्धरात्रि के समय वृषराशि गत चन्द्र होने पर भगवान कृष्ण का जन्म माना जाता है। वैसे इस वर्ष जनमाष्टमी व्रत सोमवार 14 अगस्त को भरणी नक्षत्र मे है। सप्तमी तिथि का भोगकाल सायंकाल 05 बजकर 40 मिनट तक है। उपरान्त अष्टमी तिथि प्रारम्भ हो जायेगी। अष्टमी तिथि का भोग काल मंगलवार को दोपहर मे 03 बजकर 26 मिनट तक है। प्रातः काल 06 बजकर 40 मिनट तक भद्रा भी है। चन्द्रोदय भी रात्रि मे 11 बजकर 10 मिनट पर प्रारम्भ हो जायेगा। अतः अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी तिथि मे ग्रहस्थों, स्मातों के लिये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 14 अगस्त, सोमवार को तुला लग्न मे होगा। तथा उदया तिथि अष्टमी को मानने वाले वैष्णव नाम से जुड़े हुये लोग जन्माष्टमी का व्रत पर्व, 15 अगस्त को मनायेंगे। 15 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग का भोगकाल रात्रि मे 01 बजकर 28 मिनट तक है। इन दोनो ही दिनो मे रोहिणी नक्षत्र का अभाव रहेगा। सभी ग्रहस्थ तथा साधु सन्यासी आदि जन्माष्टमी त्यौहार अपनी-अपनी मान्यता के अनुसार मनायेंगे ऐसा शास्त्र सम्मत है। यह कृष्ण पक्ष भी चैदह दिनों का है। 19 अगस्त को त्रयोदशी तिथिक्षय है। 15 अगस्त प्रातः 08 बजकर 36 मिनट पर चन्द्रमा का वृष राशि मे प्रवेश हो जायेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग भी है। यह कृष्ण जन्माष्टमी के लिये बेहद सुखद संयोग होगा।
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