Content on this page requires a newer version of Adobe Flash Player.

Get Adobe Flash player

आर्शज्योतिष में आपका स्वागत है



   
अटूट सम्बन्धों का प्रतीक है रक्षाबन्धन
 
भाई-बहनों में अगाध प्रेम, पारस्परिक सौहार्द को दर्शाने वाला रक्षाबन्धन पर्व इस बार कई मायनो में बेहद खास है। जहाँ इस पर्व का बेहद धार्मिक महत्व शास्त्रों में स्वीकारा गया है। स्नेह की डोर में बाँधने वाला यह ऐसा त्यौहार है जिसे रक्षा से जोड़ा गया है। रक्षाबन्धन (रक्षा$बन्धन) अर्थात् किसी को अपनी रक्षा के लिये बांध लेना है। मुख्यतः यह त्यौहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। लौकिक प्रसिद्ध त्यौहार रक्षाबन्धक 07 अगस्त सोमवार, श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को है यह त्यौहार कई मायनो में बेहद खास भी है।
ज्योतिषीय आधार पर देखा जाये तो कुछ तथ्य भी उभर कर सामने आते हैं। 07 अगस्त सोमवार श्रवण नक्षत्र रात्रि 04 बजकर 06 मिनट तक है। भद्रा पाताल में दिन मे 10 बजकर 30 मिनट तक है। पूर्णिमा तिथि का भोगकाल भी रात्रि मे 11 बजकर 03 मिनट तक है। इस बार श्रवण नक्षत्र तथा मकर राशि पर खन्डग्रास चन्द्र ग्रहण भी लग रहा है। ग्रहण का स्पर्श रात्रि मे 10 बजकर 52 मिनट पर तथा ग्रहण का मोक्ष रात्रि मे 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। सम्पूर्ण भारत वर्ष पर इस ग्रहण का मोक्ष, स्पर्श दिखाई देगा।
क्ब मनायें रक्षाबन्धनः- 07 अगस्त सोमवार को भद्रा का भोगकाल दिन मे 10 बजकर 30 मिनट तक है। दोपहर मे 01 बजकर 52 मिनट के उपरान्त चन्द्र ग्रहण का सूतक प्रारम्भ हो जायेगा। शास्त्रों के आधार पर 10.30 के उपरान्त तथा 01 बजकर 52 मिनट के मध्य मे रक्षाबन्धन पर्व मनाया जा सकता है। अभिजीत मूहूर्त- 11 बजकर 04 मिनट से प्रारम्भ होकर 11 बजकर 52 मिनट तक है। यह रक्षाबन्धन के लिये सर्वश्रेष्ठ समय है।
क्या करें
1. संभव हो तो कुछ न कुछ दान अवश्य करें।
2. अपनी बड़ी या छोटी बहन को किसी न किसी रुप से सन्तुष्ट अवश्य रखें।
3. रक्षा करने का संकल्प मन से लें।
4. अपनी शरण मे आने वाले शरणागत की रक्षा अवश्य करें।
5. देव गुरु बृहस्पति की उपासना इस दिन अवश्य करना चाहिये।
 

पं0 आनन्द अवस्थी : पटेल नगर कालोनी बछरावां,

रायबरेली डी-79, साउथ सिटी, लखनऊ, लखनऊ एम0बी0 नं0- 9450460208

   Website-www.aarshjyotish.in, E-mail : panditanandawasthi@aarshjyotish.in

     
Posted Comments